हाल ही में देश की सरकार ने एक नया कृषि कानून लागू किया है। जब से यह कृषि कानून लागू हुआ है तभी से देश की अलग-अलग जगहों से आकर अनेकों किसानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया है। किसानों का यह आंदोलन कृषि कानून के खिलाफ है और उनका यह आंदोलन 25 नवंबर से चालू है और आज इनका 33 वां दिन है। इस आंदोलन में अब तक कई किसान अपनी जान गंवा चुके है।
आप लोगों को बता दें कि किसानों ने शनिवार को एक चिट्टी भेजी थी और इस चिट्ठी का मकसद यह था कि वह सरकार से इस बिल के बार मे बात-चीत करना चाहते है। उनकी यह मीटिंग मंगलवार को 11 बजे की है। इस मीटिंग में किसानों ने अपनी 4 मांगे सरकार के सामने रखी है जो कि इस प्रकार है…
- जो कृषि कानून लागू किये गए है सरकार उनको वापस लें।
- मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) का कानून हमेशा गारंटी में रहे।
- अब तक किसानों पर जो भी सरकारी करवाई की गई है। वह सभी निरस्त हो।
- इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत में शामिल होना चाहिए।
अब आगे देखना यह होगा कि सरकार किसानों की इस बात को मानती है या नही। आप लोगों को बता दें कि दिल्ली के सीएम पिछले 1 महीने में किसानों से मिलने के लिए 2 बार सिंधु बॉर्डर पर उनसे मिलने के लिए पहुंच चुके है और उनके साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी थे। जब अरविंद केजरीवाल की मुलाकात किसानों से हुई तो उनका कहना था कि “केंद्र सरकार को किसानों के साथ ओपन डिबेट करनी चाहिए” इससे यह पता चल जाएगा कि यह कानून कितना नुकसान दायक है। जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात की थी तो किसानों ने थाली बजाकर कृषि कानून को बॉयकट्ट करने की भी कोशिश की थी।